अरुण से क्या कहेंगे यह प्रश्न रमिया को भी डरा रहा था। लेकिन वह अपनी बेटी के सपनों का साथ देना चाहती थी। वह सोच रही थी कि जिस राह पर क्रांति चल पड़ी है, वह तो शायद ऊपर वाले ने ही उसके लिए चुनी है। उसके बढ़ते कदमों को रोकना अब सही नहीं होगा। इस तरह कुछ देर सोचने के बाद उसने कहा, "क्रांति बेटा मैं तुम्हारे पापा से यदि यह कहूंगी कि तुम्हें हॉकी खेलने बाहर जाना है तो वह कभी अनुमति नहीं देंगे यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो।" चिंता भरे स्वर में क्रांति