द्वारावती - 77

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77वाराणसी से मथुरा जानेवाली गाड़ी के एक डिब्बे में उत्सव चड गया। वातायन वाली अपनी बैठक पर बैठ गया। वातायन से गाड़ी से बाहर के जगत को देखने लगा। समय पर गाड़ी चल दी। उसका ध्यान अभी भी बाहर के विश्व पर था। उसे ज्ञात ही नहीं रहा कि बाक़ी सभी सहयात्री अपना स्थान ग्रहण कर चुके थे तथा सभी यात्री उत्सव को ही देख रहे थे। उत्सव को तथा उसके कपड़ों को देखकर यात्रियों ने आध्यात्मिक चर्चा प्रारम्भ कर दी। सभी अपनी अपनी सीमित विद्वता का प्रदर्शन करते हुए अपना अपना पक्ष रखने लगे। किसी बात पर यात्री दो भागों