तेरह किसी बहुत पुराने खण्डहर से सटा एक मकान का जर्जर और अधबना हिस्सा था वह। आसपास की टूटी-फूटी मैली और खस्ताहाल दीवारें। इन्हीं के बीच एक साफ-सुथरा-सा कमरा था, जो पुराना होते हुए भी किसी समय शानदार होने का आवाज भी गवाह था। फर्श पर रंग-बिरंगे पत्थरों की टाइलें बिछी हुई थीं। और इसी कमरे में एक कोने में अँधेरे की पतली-सी तंग चौकी के बीच किसी तहखाने में एक रास्ता उतरता था। इसी की सीढ़ियों पर बैठा था एक बूढ़ा आदमी। सफेद और काले मिले-जुले बालों की दाढ़ी और कन्धों तक आते हुए खिचड़ी बालों वाला। मन्दिर के