तभी अभिराज ने चित्रा की तरफ देखते हुए कहा कि मुझे कौन सा शादी कर के अपनी जिंदगी खुशी से इस कातिल के साथ बितानी है। मुझे तो इसे सजा देना है इतना कि ये याद रखे। और थोड़ी मैं शादी के फेरे ख़तम हो जाते हैं। अब बारी थी मंगलसूत्र और सिन्दूर की तो अभिराज ने सिन्दूर उठा कर चित्र के मांग में भर दिया।और उसके गले में मंगलसूत्रर भी बांध दिया और कहा कि अब तुम मेरी कैद से कभी आजाद नहीं हो पाओगी। चित्रांगदा अभिराज सिंह राजपूतअविनाश का घरअभी शाम के 3:00 बज रहे थे तभी घर