एक बार एक आचार्य जी कक्षा में पढ़ा रहे थे | कक्षा के सभी छात्र रुचिपूर्वक उन्हें सुन रहे थे और उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब दे रहे थे | पर उन छात्रों के बीच एक छात्र ऐसा भी था जो कक्षा में चुपचाप और गुमसुम बैठा हुआ था | वैसे तो आचार्य जी ने पहले ही दिन छात्र को इस प्रकार गुमसुम - सा बैठा देख लिया था पर कुछ बोले नहीं थे परंतु जब कुछ सप्ताह तक ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन कक्षा के बाद उन्होंने उस छात्र को अपने कक्ष में बुलाया और पूछा -