66सूर्योदय हुआ। गुल अपने नित्य कर्म पूर्ण कर, भड़केश्वर महादेव की आरती-पूजा-अर्चना कर लौट आइ। उस समय उत्सव वहाँ नहीं था। किंतु गुल की प्रतीक्षा में कुछ यात्री थे। प्रवासियों का समूह कई दिनों के पश्चात गुल के आँगन में आया था।पिछले दिनों यात्रियों का प्रवाह कुछ मंद हो गया था। जो यात्री भगवान के दर्शन करते थे उनमें से एकाद अंश यात्री ही गुल के पास आते थे। गुल यात्रियों को समुद्र की ध्वनि में श्री कृष्ण की बांसुरी की अनुभूति कराती थी ऐसी बात प्रचलित थी।जिन यात्रियों को यह अनुभूति करनी होती थी वह गुल के पास समुद्र