अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 66

  • 957
  • 372

अगले दिन सुबह मैत्री की नींद जब खुली तो उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था.. उसे ऐसा महसूस हो रहा था मानो उसके शरीर मे वजन ही नही है... एक अजीब सी ताजगी, अजीब सी खुशी उसको महसूस हो रही थी.... नींद खुलने के बाद सुकून की अंगड़ाई लेते हुये उसने जब दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ देखा तो वो एकदम से चौंक गयी और खुद से बोली - हे भगवान... सात बज गये!! ओहो ये क्या हो गया मुझसे... लगता है आज डांट सुननी पड़ेगी.... कल रात मे मैत्री के सोने के बाद घर मे क्या हुआ था