अगले दिन सुबह मैत्री की नींद जब खुली तो उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था.. उसे ऐसा महसूस हो रहा था मानो उसके शरीर मे वजन ही नही है... एक अजीब सी ताजगी, अजीब सी खुशी उसको महसूस हो रही थी.... नींद खुलने के बाद सुकून की अंगड़ाई लेते हुये उसने जब दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ देखा तो वो एकदम से चौंक गयी और खुद से बोली - हे भगवान... सात बज गये!! ओहो ये क्या हो गया मुझसे... लगता है आज डांट सुननी पड़ेगी.... कल रात मे मैत्री के सोने के बाद घर मे क्या हुआ था