मां लक्ष्मी की लीला

वाजिद हुसैन सिद्दीक़ी की कहानी यह शहर कल- कारखानों के लिए जाना जाता है। वक्त की तरह लगातार जगह बदलते रहने वाले मज़दूर इस शहर के कारख़ानो के आसपास मिल जाते हैं। यह लोग बेरोज़गार है मगर उनके पास हजारों रोज़गार है। एक नौकरी से दूसरी नौकरी करके ज़िंदगी बसर करते लोगों के मुंह से यह तेरी नौकरी यह मेरी नौकरी जैसी बात बिल्कुल बेमतलब लगती है।शहर के इस हिस्से में इन्हीं मज़दूरों की एक बड़ी आबादी अपनी जिंदगी बसर करती है। इस आबादी के पास कई किस्से हैं, ज़्यादातर उदास कर देने वाले और और डरावने किस्से। इन किस्सों में