56अवनी पर प्रत्येक संध्या के पश्चात् तमस् उतर आता है। अनेक ऐसी संध्याओं के पश्चात एक संध्या आइ जो कुछ विशिष्ट थी। सूर्य अभी अभी अस्त हुआ था। समुद्र के ऊपर गगन को जाते हुए सूर्य ने अपनी लालिमा से भर दिया था। उसे देख गुल प्रसन्न हो रही थी। उसके दर्शन से उसे कैवल्य का स्मरण हो आया। वह लालिमा उसे अपने प्रति आकर्षित कर रही थी। उसे लगा जैसे वैकुंठ लोक से उसे कोई पुकार रहा है। उसके मन में विचारों का प्रवाह बहने लगा, ‘कैवल्य तो मोक्ष का नाम है।मोक्ष मृत्यु के पश्चात् प्राप्त होती है। यह