अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 62

जतिन के सीने से लगे लगे मैत्री उस पल को याद करते हुये रो रही थी जब उसने अपनी आंखो से अपने पूर्व पति रवि का अंतिम संस्कार होते देखा था, उस पल की यादें उसकी आंखो के सामने जैसे नाचने लगी थीं.... थोड़ी देर तक जतिन के सीने से लगे लगे रोने के बाद मैत्री अपने आंसू पोंछते हुये जतिन से अलग हुयी और सुबकते हुये बोली- रवि जब जिंदा थे तब उन्होने मुझसे कहा था कि रोहित अगर कहीं खड़ा दिख जाये तो या तो उधर जाना ही मत और अगर जाना तो कम से कम दस हाथ