53गुल के घर पर कुछ मज़हबी लोग आए हुए थे। सभी के मुख पर कड़ी रेखाएँ थी। मां, पिता तथा गुल कक्ष के एक कोने में खड़े थे। मां के मुख पर भीती थी। पिता शांत थे, स्वस्थ थे। गुल सभी के मुख देखकर स्थिति को समझने का प्रयास कर रही थी। कुछ समय के मौन के पश्चात आगंतुकों में से एक ने कहा, “गुल को मदरसा से निकाल दिया गया है। अब वह मदरसा में पढ़ाई नहीं कर सकती।” उसने एक पत्र गुल के पिता को दिया। उसने उसे पढ़े बिना ही अपने पास रख लिया। “ऐसा क्यों किया?” भय के