प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 11

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सुभ्रत खामोश ही रहा। सरदार फिर बोला- "महीने की आखिरी रात को तेरी जिंदगी का साज खामोश हो जाएगा और फिर कस्तूरी को चौपाल में पहुंचा दिया जाएगा, क्योंकि जिन दासियों के मालिक मर जाते हैं, वो भी लावारिस ही कहलाती है।" तेम्बू ने जमीन पर पड़ी हुई कस्तूरी की तरफ देखते हुए कहा। कस्तूरी जमीन पर रेत में मुंह औंधा किए रोये जा रही थी । अब आगे..........प्रेमी आत्मा मरीचिका - भाग ११ "नहीं।" सुभ्रत नै ठोस लहजे में कहा- "पांच महीने तो इंतजार करना ही होगा। कौन जाने तब तक कस्तूरी की कोख में मेरा वारिस पनपना शुरू हो जाए