अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 43

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मैत्री की कार आंखो से ओझल होने के बाद नेहा और सुरभि समेत बाकी के घरवाले मैरिज लॉन के अंदर आ गये... जतिन तो अपनी अर्धांगिनी मैत्री को लेकर कानपुर के लिये निकल गया था लेकिन बारात वाली बस अभी भी वहीं खड़ी थी... सारे बाराती बस मे बैठ चुके थे लेकिन जतिन के पापा विजय अभी भी मैरिज लॉन मे अपने छोटे भाई के साथ ही थे.... मैत्री के जाने के बाद उसके परिवार के हर सदस्य के चेहरे उतरे हुये थे... आंखो मे आंसू थे... और माहौल एकदम शांत था.... ऐसा लग रहा था मानो मैत्री अपने साथ