अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये अंकिता ने कहा- इसके बाद तीन दिनों तक यहां भुवनेश्वर में रुक कर राजीव वापस कानपुर चला गया और उसके कुछ दिनों के बाद छुट्टियां खत्म होने पर हम भी वापस दिल्ली लौट गये... राजीव का हमारे लिये पजेसिव एटीट्यूड जो हमें अच्छा लगता था वो अब बदलने लगा था, वो छोटी छोटी बातों पर इरिटेट हो जाता था और बार बार हंसी मजाक करते हुये आंख मारकर फ्लैट में चलने के लिये कहते हुये कह देता था "चलो वो काम पूरा कर लिया जाये जो उस दिन अधूरा रह गया था!!"