शान्त बैठी महिला ने आगे कहा ..हम जैनियों में आत्म शुद्धि के लिए संथारा किया जाता है । संसार में रहने से कुछ पाप कलमष आत्मा पर चढ जाते हैं तो उनका निस्तारण संथारा से होजाता है । मनुष्य निष्पाप होकर संसार से जाता है । केतकी ने पूछा ..संथारा के बारे मे मैने सुना है ..संथारा करने वाला अन्न जल का त्याग कर देता है और खुद को एक कमरे में बंद कर लेता है , लेकिन आप तो सफर कर रहे हैं ? महिला के शांत चेहरे पर एक मुस्कान तैर गयी ..वह बोली .. हां ऐसा होता