हर रोज की तरह आस्था की दिन की शुरुवात सुबह 5 बजे ही हुयी .... फ्रेश होकर वो पैलेस के गार्डन मे बने शिव मंदिर मे गयी महामृत्युन्जय मंत्र का जाप कर उसने शिव जी के चरण स्पर्श किये ..... और किचन मे आकर चाय बनाई,,,, नौकरो ने वो चाय लेजाकर दादासा और दादीसा को दे दी ,,,, आस्था ने अब नाश्ता बनाने के लिये ले किया वैसे तो उसे ये सब करने की कोई जरूरत नही थी .... लेकिन सिर्फ उसका दिल और दिमाग किसी ना किसी काम में बिजी रहे इसिलिए दाईमाँ उसे ये सब करने देती ,,,,