अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 30

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मैत्री के घर से कानपुर के लिये निकलने के थोड़ी देर बाद कानपुर के रास्ते में कार चला रहे जतिन के बगल में बैठे सागर ने राहत की लंबी सांस छोड़ते हुये उससे कहा- आज मुझे बहुत सुकून मिल रहा है, भइया आपकी पसंद यानि हमारी होने वाली भाभी जी बहुत अच्छी हैं आप दोनो एकदम आदर्श जोड़ी लग रहे थे...सागर की बात पूरी होने के बाद मजाकिया लहजे में जतिन की टांग खींचते हुये ज्योति ने कहा- और क्या तभी तो भइया दीवाने हुये जा रहे थे... हैना भइया!!ज्योति की बात सुनकर जतिन ने हंसते हुये कहा- अच्छा जी...