सबके कहने पर जतिन और मैत्री एक दूसरे से बात करने के लिये उस कमरे मे चले गये जहां पहले से ही नेहा और सुरभि ने उन दोनो के लिये चाय, नाश्ते की व्यवस्था करी हुयी थी, अंदर कमरे मे जाने के बाद मैत्री जो पहले से ही इस रिश्ते को लेकर बहुत असहज थी.. वहां पड़ी दो कुर्सियो मे से एक की तरफ इशारा करते हुये जतिन से बहुत धीरे से अपनी महीन आवाज मे बोली- बैठ जाइये...मैत्री के बैठने के लिये कहने पर जतिन ने भी मैत्री से थोड़ा संकुचाते हुये कहा- आप भी बैठिये...कुर्सी पर दोनो लोगो