काली घाटी - 4

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शिवा- सुबह की पहली किरण के साथ ही में उस गुफा को ढूंढूंगा।यह कहकर वह सोने की कोशिश करता है, पर कमबख्त नींद कहां आने वाली थी।और उपर से शिवा को गांव वालों की चिंता हो रही थी।शिवा- पता नहीं मां और बाकी गांव वाले कैसे होंगे।सोचते सोचते शिवा की कब आंख लग जाती है पता ही नहीं चलता। (सुबह )जब सुबह होती है तो सूर्य की पहली किरण शिवा के ललाट पर गिरती है।मानो सुर्य देव शिवा को जगा रहे हो। चारों तरफ शांति का माहौल था,और चिड़िया के चहचहाने की आवाजें आ रही थी, ऐसा लग रहा था