अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 13

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ज्योति के सिर पर हाथ रखकर जतिन जैसे उसकी कसम खाते हुये द्रढ़निश्चय सा कर रहा था कि "बहन चाहे जो हो जाये तुझे मै काम नही करने दूंगा, अपनी पढ़ाई और अपने हुनर को साक्षात् करने के लिये तू अपनी मर्जी से जॉब करे वो अलग बात है पर जिम्मेदारियो के बोझ तले दबकर तो मै तुझे जॉब नही करने दूंगा, तेरे सिर पर जिम्मेदारियो का बोझ तो मै नही आने दूंगा फिर चाहे मुझे चौबीसों घंटे क्यों ना काम करना पड़े" ये ही सोचते सोचते जतिन ने बड़े प्यार से ज्योति और अपनी मम्मी के आंसू पोंछे और