दो साल गुजर गये। नीरा कॉलेज में आ गई। उस दिन कॉलेज के मेन गेट से बाहर निकलती नीरा ने आसमान की ओर नज़र उठाकर श्वेता से कहा, “कहीं बारिश न हो जाये।”“हो गई, तो मज़े से भीगेंगे।” श्वेता चहकते हुए बोली। स्कूल की दोनों सहेलियाँ अब कॉलेज में भी साथ थीं। इसी साल दोनों ने फर्स्ट इयर में एडमिशन लिया था। दोनों पैदल-पैदल सड़क पर आगे बढ़ी चली जा रही थीं कि एक बाइक उनके पास आकर रुकी। पहले श्वेता की नज़र बाइक की तरफ घूमी। बाइक पर विवान था। श्वेता ने नीरा के कंधे पर हाथ रखा। तब