प्रेम गली अति साँकरी - 150

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150==== =============== “दीदी ! मैं मंगला नहीं हूँ | ”उसने धीरे से कहा | अब एक बार फिर से मेरे और शीला दीदी के चौंकने की बारी थी |  “मतलब? खुलकर बोलो मंगला, डरो नहीं| यहाँ तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता| नाम तो तुम्हारा मंगला ही है न? ” “दीदी ! मेरा नाम मंगलप्पा है और मैं दक्षिण भारत की रहने वाली हूँ | ” “मतलब? तुम बंगाली नहीं हो? ”मैंने आश्चर्य से पूछा |  “नहीं दीदी, मैं दक्षिण भारतीय हूँ और इन्होंने मुझको कई सालों से अपने यहाँ एक तरह से कैद करके रखा है| ”मंगला ने बताया|