ठंडी सड़क (नैनीताल) - 10

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ठंडी सड़क( नैनीताल)-10बुढ़िया ने कहा,"मुझे अपना पूर्व जीवन याद है। गाँव में रहती थी। गाँव जो लगभग साढ़े पाँच हजार फीट की ऊँचाई पर था।जंगल का सान्निध्य जिसे प्राप्त था।जाड़ों में बर्फ भी गिरती थी। वह सफेद बर्फ मन को भी श्वेत कर देती थी। वनों में चीड़ था, बाँज था, बुरुस था, काफल था, तुन था, पता नहीं कितने प्रकार के पेड़ थे।कुछ जानती थी, कुछ को नहीं जानती थी।मैंने पहली कविता वहीं लिखी जो मर चुकी है या परिवर्तित हो गयी है।चीड़ के वनों के ठेके होते थे। पेड़ों को चीर कर बड़ी-बड़ी बल्लियां निकाली जाती थीं।उन्हें नदी