अंकित से मेरी बात आज पहली बार हुई वो भी कॉपी पर लिख कर हमने बात की । मैने उसकी आवाज़ नहीं सुनी थी । और कभी बात करने की जरूरत भी नहीं पड़ी । कॉपी पर हम बात कर लिया करते थे लेकिन पता नहीं क्यों मै उससे बात करने में कतराती थी और वह भी शायद थोड़ा घबराता होगा । इसलिए हमारी रूबरू बात नहीं होती थी । एक दिन मै अंजलि के साथ खड़ी थी तब आकर उसने अंजलि से कुछ नोट्स के बारे में बात की थी तब मैंने उसकी आवाज़ सुनी । बहुत सुरीली आवाज़