सुनसान रात - 8 (अंतिम भाग)

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हरीश बोलता ही जा रहा था- कितनी मुश्किलों से तुम्हें ढूंढा है तुम्हारा किसी का फोन भी नहीं लग रहा था कब से पैदल चल रहा हूं एक व्यक्ति से लिफ्ट मांगी थी, फिर बाईपास के नजदीक आकर वहां कुछ लोगो से पूछा गाड़ी का नम्बर बताया कि इस नम्बर की गाड़ी किस तरफ गयी है उन्होंने बताया कि बाईपास पर गई है, मैंने जिससे लिफ्ट ली थी उससे बाईपास पर जाने से मना कर दिया बोला कि मुझे नहीं मरना वहां जाकर ये कहकर उसने बाईपास के पास छोड़ दिया।मैं तब से यहां तुम्हें ढूंढता हुआ पैदल पैदल आ