प्रेम गली अति साँकरी - 140

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140=== ================ अमोल की बात मुझ अकेली से ही तो हुई थी, मुझे सब बातें अपनी टीम से साझा करनी जरूरी थीं, वैसे भी जब तक सब मेरे चैंबर में आए मेरा दिमाग घूमकर चक्कर खाने लगा था | ठीक है, जो कुछ पहले हुआ था लेकिन यहाँ से सब लोग बिलकुल ठीक गए थे। वो तो पहले की बात थी जब सबने दीदी के घर में शर्बत पीया था। उसका असर तो जो पड़ना था, वह पड़ ही चुका था लेकिन अब पापा के साथ जो हुआ था, वह क्या इसलिए कि केवल पापा का ‘स्टेमिना’ ही इतना कमज़ोर