कालवाची-प्रेतनी रहस्य-सीजन-२-भाग(२०)

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कालबाह्यी के वहाँ से जाने के पश्चात् चारुचित्रा के मुँख की मुस्कान देखने योग्य थी,वो प्राँगण में लगे स्तम्भ के समीप खड़ी मंद मंद मुस्कुरा रही थी,तभी उसके पास विराटज्योति आकर बोला.... "क्या हुआ रानी चारुचित्रा! आप बड़ी प्रसन्न दिखाई दे रहीं हैं", तब चारुचित्रा बोली... "मेरी प्रसन्नता का कारण आप हैं महाराज! बस आप यूँ ही मुझसे प्रेम करते रहेगें तो मैं सदैव यूँ ही प्रसन्न रहूँगी,एक स्त्री विवाह के पश्चात् केवल तभी प्रसन्न रह सकती है जब उसका स्वामी उससे प्रेम करें,उसे सम्मान दे,किसी समस्या को लेकर उससे विचार परामर्श करें,एक विवाहिता स्त्री को केवल इतना ही चाहिए