प्रातःकाल होते ही विराटज्योति राजमहल वापस लौट आया और आते ही वो अपने कक्ष की ओर बढ़ चला तो मनोज्ञा बनी कालबाह्यी उसके पास आकर बोली.... "महाराज! कृपया! मेरी भूल क्षमा करें,किन्तु अभी आप अपने कक्ष में ना जाकर यदि किसी और कक्ष में जाकर विश्राम कर लें तो उचित होगा", "किसी और कक्ष में,वो भला क्यों?",विराटज्योति ने चिन्तित होकर मनोज्ञा से पूछा... "क्योंकि महारानी चारुचित्रा उस कक्ष में विश्राम कर रहीं है,उनकी निंद्रा में विघ्न पड़ेगा,क्योंकि वो रात्रिभर जागतीं रहीं हैं",मनोज्ञा बनी कालबाह्यी बोली... "वो यूँ ही मेरी चिन्ता करके रात्रि रात्रि भर जागतीं रहतीं,रानी चारुचित्रा को मेरी इतनी