कालवाची-प्रेतनी रहस्य--सीजन-२--भाग(१३)

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दूसरे दिवस सायंकाल के समय यशवर्धन चारुचित्रा से भेंट करने राज्य के बाहर वाले मंदिर में पहुँचा,वो चारुचित्रा की प्रतीक्षा कर ही रहा था कि वहाँ चारुचित्रा आ पहुँची और उसे देखकर बोली... "यशवर्धन!कैंसे हो"?, "मैं तो एकदम ठीक हूँ,तुम बताओ कि कैंसी हो",यशवर्धन ने चारुचित्रा से पूछा... "मैं ठीक नहीं हूँ यशवर्धन! इसलिए तो मैं तुमसे भेंट करना चाहती थी",चारुचित्रा बोली... "तुम्हें चिन्तित होने की आवश्यकता नहीं है चारुचित्रा! तुम निश्चिन्त होकर अपनी समस्या मुझसे कह सकती हो",चारुचित्रा बोली... "मैं मनोज्ञा को लेकर चिन्तित हूँ,क्योंकि उसके आने के पश्चात् ही महल में समस्याएँ खड़ी हुईं हैं",चारुचित्रा बोली... "मुझे विस्तारपूर्वक