कालवाची-प्रेतनी रहस्य-सीजन-२-भाग(७)

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यशवर्धन का कथन सुनकर चारुचित्रा ने उसकी ओर ध्यान देखा,इसके पश्चात उससे बोली.... हाँ! मैं ही हूँ,किन्तु तुम कहाँ थे इतने समय से ? मैं...मेरे विषय में तुम ना ही जानो तो ही अच्छा रहेगा ,यशवर्धन बोला.... ऐसा क्या हो गया यशवर्धन! जो तुम ऐसीं बात़ें कर रहे हो ,चारुचित्रा ने यशवर्धन से पूछा.... ये तो तुम्हें भलीभाँति ज्ञात है चारुचित्रा! कि मैं क्या कहना चाहता हूँ यशवर्धन बोला... तुम अभी तक मुझसे क्रोधित हो उस बात को लेकर ,चारुचित्रा ने पूछा... मैं भला तुमसे क्यों क्रोधित होने लगा,तुम्हारा जीवन है एवं तुम्हें इस बात की पूर्ण स्वतन्त्रता है कि तुम किसे चुनो, तुम्हारे लिए