रामायण की कथा भजन के माध्यम से मेरे शब्दों में - 3

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अवध में ऐसा, ऐसा इक दिन आया,निष्कलंक सीता पे प्रजा ने,मिथ्या दोष लगाया,अवध में ऐसा, ऐसा इक दिन आया।इस लाइन में कहा गया है की अवध में एक ऐसा दिन आया निष्कलंक यानी बेदाग या जिस पर कोई कलंक ना हो ऐसी सीता पे प्रजा ने मिथ्या यानी जूठा दोष लगाया।अवध में ऐसा एक दिन आया।चल दी सिया जब तोड़ कर,सब नेह नाते मोह के,पाषाण हृदयों में,ना अंगारे जगे विद्रोह के।इस में कहा गया है की जब सिया मोह के सभी रिश्ते नाते छोड़कर कर चली गई तब पाषाण हृदय यानी जिसका हृदय अत्यंत क्रूर बन गए हो ऐसे व्यक्ति,फिर