प्यार की अर्जियां - 19

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संदीप : " मेरी शादी के दिन कुमावत हाऊस में सुहागरात था बेबे को पता चला तो गुस्से में आई और बोल पड़ी ,ये कि गल हे ,, सानू कर वीच रस्मे करावगा हूण इथे सुहागरात मनावगा ये गल पसंद न मैनू ,सानू कर वीच दूल्हा दुल्हन जावेंगा उथे ही रस्मे करी फिर सुहागरात मनौना ,, अब बेबे ज़िद पर अड़ी थी लेकिन हर रस्म शादी बेबे के अनुसार ही हुआ ,, फिर सावी दी ने बेबे को मनाया और मैंने भी बेबे से कहा आप टेंशन मत लो मैं समझ गया, तब जा के शांत हुई ....!! " कन्या