राजन का उठा हाथ जोर से उसके गाल पर पड़ा।"बेईमान..कमीने.निर्लज्ज..." राजन बड़बड़ाया।"क्या हुआ प्रिंस ?" अनिल तेजी से राजन की ओर बढ़ा।"क्या बात हो गई?* धर्मचन्द ने घबराकर कहा।राजन दोनों हाथ मेज पर टेक कर उछला और दूसरी ओर कूद गया। उसने फरकीरचन्द कोकमीज के गरेबान से पकड़कर ऊपर उठाया और एक हाथ से तड़ातड़ उसके गालों पर चांटेजड़ता हुआ बोला, "लहू पी जाऊँगा तेरा.. मुझे कपटी, कमीने, बेईमानों से घृणा है..."मार लो यार ! मार लो..." फकीरचन्द अपने होंठ का लहू पोछकर मुस्कराया, "दोस्त दोस्तके हाथों ही पिटता है।""चलो छोड़ो प्रिंस !" अनिल राजन के कंधे पर हाथ रखकर