दाईमाँ को देखते ही भूतेश्वर बोला.... "दाईमाँ! आप गईं नहीं" "नहीं! मुझे कुछ संदेह सा हो रहा था क्योंकि तुम्हारी पुत्री के जन्म लेते ही उसके मुँख में दाँत थे,जो कि ऐसा असम्भव है किसी भी नवजात बालक या बालिका के दाँत नहीं होते,जो प्रेत योनि का होता है उसी नवजात शिशु के दाँत जन्म के समय से ही होते हैं"दाईमाँ बोली..... "तो अब आपका क्या विचार है?",भूतेश्वर ने पूछा.... "मैंने तुम्हारे और कालवाची के मध्य हो रहे वार्तालाप को सुन लिया है,इसलिए अब मुझे सब ज्ञात हो चुका है,तुम्हारा अपनी पत्नी और पुत्री के संग चामुण्डा पर्वत जाना अति