प्रेम गली अति साँकरी - 113

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113---- =============== जो कुछ नहीं हो रहा था, जो बरसों से नहीं हो रहा था यानि बरसों से मैं अपने साथी की खोज में भटक रही थी न! कुछ निर्णय की स्थिति आई ही नहीं थी और अब? क्या मैं या और सब मेरे इस निर्णय से संतुष्ट थे? क्यों हुआ होगा ऐसा? मैं सोच रही थी, प्रमेश के व्यवहार से इतनी अधिक असन्तुष्ट होने के बावज़ूद भी मैंने क्यों और कैसे और किन क्षणों में पूरे जीवन उसके साथ बिताने का फैसला किया होगा? लेकिन ऐसा अब हो चुका था | जीवन साथ बिताने का निर्णय इतना आसान होता