दृष्टिकोण - 1

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रात की चांदनी रात में श्वेता अपनी नम आंखों से चांद को देख रही थी मन भरा हुआ था और खिड़की के पास रखी हुई स्टडी टेबल पर बैठी हुई थी जिस पर लैंप रखा हुआ था उसके दाएं हाथ में पेन और पेपर था जिससे कुछ लिखने की कोशिश कर रही थी लेकिन अंदर इतना कुछ भरा हु था की उसके हाथ भी साथ नहीं दे रहे थे उसे समझ नही आ रहा था की अपनी भावना केसे बयां करे इसीलिए लगातार चांद को देखे जा रही थी उसकी आंखो से आंसू निकल कर पेपर पर गिर रहे थे