जुझारु के बहुत समझाने के बाद तीखा ने सौभाग्य को बाज़ार जाने कि अनुमति दी । जुझारू बेटी सौभाग्य के साथ नियमित बाजारों कि तरह ही बाज़ार पहुंचे चिन्मय को तो बेकरारी से बाजार के दिन का इंतज़ार था ही । वह भी स्कूल से छुट्टी होने से पहले अपने क्लास टीचर से छुट्टी लेकर स्कूल से निकला जुझारू सड़क किनारे बेटी सौभाग्य के साथ अपने दुकान पर बैठे ग्राहकों का इंतज़ार कर रहे थे चिन्मय वहाँ पहुंचा और बोला चाचा पहचाने पिछले बाजार के सुगा ले गए रहे चार रुपया दिए रहा छः रुपया बाकी रहा देबे आए है