मोहन को इस तरह शराब के नशे में धुत पड़ा देखकर पुलिस ने उसकी पीठ पर डंडा लगाते हुए कहा, “मोहन उठ।” लेकिन मोहन हिला तक नहीं। बिस्तर नीचे से भी गीला था, शायद उसने ही गीला कर दिया था। उसके आसपास बिस्तर पर शराब गिरी हुई अभी सूखी नहीं थी। हालात गंभीर थे, मोहन की हालत देखकर पुलिस को यह समझने में देर नहीं लगी कि यह तो मर चुका है। उसे इस तरह मृत देखकर जयंती, बसंती और गोविंद के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। गोविंद के मुँह से निकल गया, “अरे यह कैसे हो गया?” पुलिस को देखकर मोहन और