’‘‘तुम ने कहा न अपने मन की करो. तो आओ पहले तुम्हें अंगूठी तो पहना दूं,’’ और राज सालों पहले बड़े प्यार से जिया के लिए खरीदी वह अंगूठी जिसे वह रोज अपनी जेब में सहेज कर उस परफैक्ट मोमैंट के इंतजार में रखा रहता था उसे पहनाने लगा. ‘‘एकदम अनूठा सरप्राइज… अब मैं भी तुम्हें अंगूठी पहना देती हूं,’’ और जिया पास गिरे ताजे फूल के डंठल को मोड़ राज को पहना देती है.‘‘इस से पहले कि बारिश बंद हो जाए, यह रही मेरी ऐंट्री अच्छे गाने के साथ, ‘हम्म्म… एक लड़की भीगीभागी सी…’’’‘‘क्या बात है वाह.’’‘‘दमदम डिगाडिगा मौसम