ठंडी सड़क (नैनीताल) - 4

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ठंडी सड़क(नैनीताल)-४मैंने बूढ़े से आगे कहा-जब आप प्यार में होंखूब प्यार में हों,यही जी करता है।जहाँ आप नैनीताल की राहों पर हों,ठंड का अहसास मिट जाता है। डीएसबी महाविद्यालय से हनुमानगढ़ी जा रहे हों। यहाँ काफल नहीं, हिसालू नहीं पर राह का आभास भी नहीं होता है। किसी को खोजते-खाजते हनुमानगढ़ी पहुँच जाते हैं। इसमें राजुला-मालूशाही से सपने नहीं हैं। कहा जाता है, राजुला-मालूशाही का जन्म बागनाथ( शिवजी) की कृपा से हुआ था। दोनों के माता-पिता ने उनकी सगाई भी वर माँगने के बाद कर दी थी। लेकिन नियति ने दोनों को पहले अलग कर दिया और फिर मिला भी