मेरी मासूम बेटी

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    मुझे काफी लोग जानते है क्योंकि मैं प्रख्यात लेखक हूं l में समाज की जंजीरों के मुक्त स्वतंत्र विचारो वाला लेखक होने के बावजूद यह बात किसी को भी बताना नहीं चाहता था जो बात मैंने अपनी और मेरी बेटी धारा के बीच में ही रखना चाहा l वह आज लिखते हुए मुझे कोई शर्म नहीं और ना ही हिचकीचाहट, है तो सिर्फ सच बताने की साहस l   वह बारिश का मौसम था l रात को कमरे के बाहर बारिश हो रही थी पर भीतर आँसू की बरसात l बाहर हर कोना गिला था और भीतर मेरा