में और मेरे अहसास - 91

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इश्क़, मुहब्बत, जरूरत, आदत जो भी कहो l बेपन्हा ओ बेइंतिहा सी चाहत जो भी कहो ll   गर थोड़ा वक्त मिले तो निकाला करो जरा l दीदार से मिल जाती है राहत जो भी कहो ll   तड़प और तरस हमेशा से चाहत की रहीं हैं l जो भी प्यार से दोगे उसे दावत जो भी कहो ll   इश्क ने ये क्या जादू कर दिखाया है देखो तो l दवा से या दुआ से मिले ताकत जो भी कहो ll   प्यार ओ अपनेपन की जो धारा बहती है उसे l नदी, दरिया, समंदर या सागर जो भी