ऐसे बरसे सावन - 17

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अभिराम - ओह गॉड , 6 :45 हो गए , फिर झुंझलाहट में....माँ आपने हमें उठाया क्यों नहीं ?अब आगे -माँ - मैं तो आपको एक घंटे से उठा उठा कर थक चुकी पर आप हैं की उठने का नाम ही नहीं ले रहे थे इसलिए मजबूरन अधीरा को भेजना प़डा आपको उठाने के लिए lमाँ की बातें सुनकर अधीरा भी हँसने लगती है उसे हँसता देखअभिराम - चिंपू , तुझे तो मैं बाद में देख लूँगाअधीरा - हाँ भाई, पहले घड़ी देख लो फिर मुझे भी देख लेना lअभिराम - फिर घड़ी देखते हुए टाॅवल लेकर तेजी से बाथरूम