प्यार की अर्जियां - भाग 2

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संदीप और कन्या अपने बेडरूम में बातें करते हुए......... संदीप : "मैंने देखा है दीदी को मजबूरी वाले रिश्ते निभाते हुए उस इंसान से जो दीदी की अहमियत नहीं समझता बस अपने ही मनमानी करता है,मारता है ज़रा सी बात पर अपने मां बाप के बातों को सच मानकर ,मैं दी के शरीर का घाव नहीं देखा लगे, लेकिन उसकी चेहरे का दर्द साफ - साफ देख सकता हुं ,बेबे अपनी दकियानूसी बात से उसे समझाती है ,क्या मैं नहीं जानता ,और जिस लड़की के साथ मेरी शादी की ख्वाब देखी थी उस लड़की से मिला हुं, मुझे नहीं लगता