89 ---- =============== अब वातावरण काफ़ी सामान्य हो चुका था | सरकार ने भी काफ़ी छूट दे दी थी, फ़्लाइट्स खुल गईं थीं लेकिन सरकार ने अभी सबको ध्यान रखने की सलाह दी थी | दूसरे दौर में जो हालत हुई थी उससे सब लोग घबरा गए थे लेकिन किसी भी स्थिति में हमेशा कुछ ऐसे लोग भी होते ही हैं जो अपने आपको पहलवान समझना नहीं छोड़ते | और तो और वे यह भी समझने की कोशिश नहीं करते कि उनके कारण और लोगों को परेशानी होगी | सामने सड़क के पार वाले मुहल्ले में ऐसे बहुत लोग थे