प्रेम गली अति साँकरी - 87

  • 3.1k
  • 1k

87---- ============ हद ही हो गई, सबके ही तो टीके लगे थे और सब बड़े मज़े में घर वापिस आए थे, मैं कोई अनोखी थी क्या? मेरी इस स्थिति से संस्थान का बड़े से लेकर छोटा बंदा तक मेरे लिए चिंतित हो गया था |  क्या मैं सबको परेशान करने के लिए ही हूँ ---कारण कोई भी हो? यह सोचकर मुझे बहुत खराब लगा मैं सोच रही थी कि कमरे में ही कुछ हल्का-फुल्का मँगवा लेती हूँ लेकिन रतनी और शीला दीदी के सामने चलती होगी मेरी ! “शीला दीदी ! अगर अभी आराम कर लूँ तो कैसा रहेगा?” मैंने