एपिसोड 23 ( दो जुड़वा बहनें ! ) गहरे समन्दर जैसी , लेकिन हरी | कश्वी सीधी खड़ी होती है , ओर राघव से कहती है | काश्वी :: "आँखें राघव , उस नकाबपोश की आँखें गहरी हरी थीं | मैंने पहले इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया |" काश्वी को अच्छे से याद था , की उस रात वोशरूम से वापिस आते हुए , किसी ने उसे पिच्छे से पकड़ा था | ग्ताभी काश्वी को उन हरी आँखों की झलक दिखाई दी थी | राघव बोलता है | राघव :: "पर काशी दुनिया में हरी आँखें ना जाने