" ओ कान्हा जी, कहीं मुझे प्यार तो नहीं हो गया या मेरा दिमाग खराब हो गया है , मैंने तो उसकी शक्ल तक नहीं देखी और मेरा ये हाल है , पता नहीं कान्हा जी , तुम्हारी यह कौन सी नई चाल है "lफिर ऐसे ही सोचते सोचते वह नींद के आगोश में चली जाती हैं lदूसरी तरफ़ कैप्टन अभिराम उसका भी वही हाल था उसकी आँखों के सामने बार बार स्वरा का चेहरा घूम जा रहा था, जब जब उसकी डांट याद आती तब तब उनके चेहरे पर मुस्कान आ जाती lस्वरा के ख्यालों में डूबे उसे पता