प्रेम गली अति साँकरी - 86

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86--- ================ मुझे उत्पल में कभी पापा की झलक दिखाई दे जाती जो मुझे प्रभावित करती | पापा का वह रोमांटिक मूड मुझे अक्सर याद आ जाता था जब वे अम्मा को छेड़ा करते थे | सपनों की तरह भागती है ज़िंदगी, वे सपने जो मुझे तो कभी आते ही नहीं थे | अब मैं सपनों को खोजने लगी थी या फिर सपने मुझे, पता ही नहीं चलता | यह मनोवैज्ञानिक सत्य है कि बेटी पिता के व्यक्तित्व से प्रभावित होती है और अधिक लाड़ली रहती है तो बेटा माँ की ओर अधिक आकर्षित रहता है | यह मनोविज्ञान कहता